rakshabandhan kyu ur kab manaya jata hai Essay रक्षाबंधन का त्योहार क्यों और कब मनाया जाता है? निबंध
रक्षाबंधन का त्योहार क्यों और कब मनाया जाता है?
रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन के अन्त में (सावन माह की पूर्णिमा को) मनाया जाता है। यह त्योहार श्रवन नक्षत्र में मनाया जाता है। यह त्योहार भाई बहन के प्यार का पवित्र त्योहार है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है, और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। राखी कच्चे धागे का होता है, जो प्यार का प्रतीक होता है।
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे हमारे पुराणों में कई कथाएं प्रचलित हैं, जो इस प्रकार हैं:-
माता लक्ष्मी द्वारा राजा बलि को राखी बांधना
एक बार की बात है, दैत्यों के राजा, राजा बलि अपनी सौवां अश्वमेध यज्ञ पूरा करने वाले थे, जिससे वे देवताओं से भी ज्यादा ताकतवर हो जाते, और दैत्यों द्वारा सृष्टि का विनाश का भय था। तभी श्री विष्णु ने वामन का अवतार लिया और भिक्षुक बनकर राजा बलि के पास जाकर भिक्षा में तीन पग भूमि मांगा, राजा बलि बहुत ही दानी थे, उन्होंने बिना कुछ सोचे तीन पग भूमि श्री विष्णु जी को देने का वचन दे दिया। तब श्री विष्णु ने अपना शरीर विराट रूप धारण किया और एक पग (पैर) में पृथ्वी को दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया, तब राजा ने अपने वचन की रक्षा के लिए तीसरा पग अपने सर पर ले लिया। इससे विष्णु जी प्रसन्न हुए और राजा बलि को वरदान मांगने को कहा राजा बलि ने वरदान मांगा कि आप हमेशा मेरे सामने रहेंगे, विष्णु जी ने उन्हें वरदान दे दिया। और श्री विष्णु अपने बैकुंठ धाम छोड़कर राजा बलि के दरबार में उनके सामने निवास करने लगे जिससे मां लक्ष्मी चिंतित होने लगी। फिर नारद जी और शिव शंकर जी के कहने पर कि राजा बलि को भाई बना लीजिए और उनसे श्री हरि विष्णु को मांग लीजिए, महालक्ष्मी राजा बलि के पास गई और रोते हुए कहा कि मेरा कोई भाई नहीं है इस पर राजा बलि ने मां लक्ष्मी का भाई बनना स्वीकार किया और मां लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में राखी यानी कच्चा धागा बांधा, उस वक्त राजा बलि ने अपनी बहन मां लक्ष्मी की रक्षा करने का वचन दिया और कुछ मांगने को कहा था मां लक्ष्मी ने अपने पति श्री विष्णु को मांग लिया। तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा।
द्रोपदी के द्वारा श्री कृष्ण को राखी बांधना
पांडवों की राज्यसभा में जब शिशुपाल श्री कृष्ण को गाली दे रहे थे, तब श्री कृष्ण ने 100 गलतियां तो माफ कर दिया लेकिन 100 गलतियां के बाद वे अपने सुदर्शन चक्र निकालें और शिशुपाल का सुदर्शन चक्र से वध कर दिया, जब सुदर्शन चक्र शिशुपाल का गर्दन काट कर वापस श्री कृष्ण के उंगली पर आया तब श्री कृष्ण जी का हल्का सा उंगली कट गया था जख्मी हो गया था, तब द्रौपदी ने अपने साड़ी का पल्लू को पढ़कर श्री कृष्ण जी के उंगली पर बांध दिया था, और कृष्ण जी का लहू (खून) बहना रुक गया था। इसके बाद प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा करने का वचन दिया था। तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा।
nice bhaiya
ReplyDeleteरक्षाबंधन कब मनाया जाता है इसके बारे में अच्छी जानकारी दी है
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