NCERT CLASS 10 chapter 8 How do organisms Reproduce ? जीव जनन कैसे करते हैं? in Hindi medium and English medium
लैंगिक जनन (sexual reproduction)
प्रजनन की वह क्रिया जिसमें दो युग्मकों (Gamete) के मिलने से बनी रचना युग्मज (zygote) द्वारा, नये जीव की उत्पत्ति होती है, लैंगिक जनन कहलाती है।
When two parents (opposite sex) participate in the reproductive process and also involve fusion of male and female gametes, it is called sexual reproduction.
In sexual reproduction, male and female parents prepare their gametes, and then by mating processes, two types of gametes fuse together to form a zygote. The zygote then develops into a complete offspring.
Sexual reproduction is the process in which new organisms are created, by combining the genetic information from two individuals of different sexes. The genetic information is carried on chromosomes within the nucleus of specialized sex cells called gametes. In males, these gametes are called sperm and in females the gametes are called eggs. During sexual reproduction the two gametes join together in a fusion process known as fertilization, to create a zygote, which is the precursor to an embryo offspring, taking half of its DNA from each of its parents. In humans, a zygote contains 46 chromosomes: 23 from its mother and 23 from its father. The combination of these chromosomes produces an offspring that is similar to both its mother and father but is not identical to either.
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--- युग्मक (Gamete/ sex cells) - नर और मादा जनन कोशिकाओं को युग्मक कहते हैं। The cell which are involved in sexual reproduction are called gametes.
there are two types of sex cells
(जानवरों में)
1) male gametes (sperm) नर युग्मक - शुक्राणु
2) female gametes (egg/ ova /ovum ) मादा युग्मक - अंडाणु (पौधो में )
1) male gametes (pollen grain) नर युग्मक - परागकण
2) female gametes (egg/ ova /ovum ) मादा युग्मक - अंडाणु
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लैंगिक जनन की अवस्थाएं (Stages of Sexual Reproduction) :-
लैंगिक जनन के मुख्य तीन अवस्थाएं होती हैं:- There are three main stages of sexual reproduction:
1) निषेचन – पूर्व अवस्थाएं (Pre – fertilization stages)
2) निषेचन (Fertilization)
3) निषेचन – पश्च अवस्थाएं (Post – fertilization stages)
1. निषेचन – पूर्व अवस्थाएं (Pre – fertilization Stage) :-
युग्मकों के संयोजन से पूर्व की सभी अवस्थाएं निषेचन पूर्व अवस्थाएं कहलाती है। इसमें युग्मकों का बनना तथा उनका स्थानांतरण दोनों ही सम्मिलित हैं। युग्मकों के बनने की प्रक्रिया को युग्मक जनन (gametogenesis) कहते हैं। युग्मक जनन की प्रक्रिया में नर तथा मादा दोनों युग्मक बनते हैं, दोनों प्रकार के युग्मक अगुणित (haploid) होते हैं।
All the stages before the fusion of gametes are called pre-fertilization stages. It involves both the formation and transfer of gametes. The process of formation of gametes is called gametogenesis. In the process of gamete reproduction, both male and female gametes are formed, both types of gametes are haploid.
नर जंतुओं के युग्मकों को शुक्राणु (sperms) कहते हैं, जो निषेचन के लिए गतिशील होते हैं , जबकि मादा युग्मक को अंडाणु (ovum) कहते हैं , जिसका निर्माण मादा जंतु के अंडाशय में होता है, अंडाणु गतिशील नहीं होते हैं।
पौधों में नर युग्मक को परागकण (pollen grain) कहते हैं जबकि मादा युग्मक को अंडाणु (ovum) कहते हैं, दोनों युग्मक अगुणित होते हैं। शैवालों में तीन प्रकार के युग्मक बनते हैं –
The gametes of male animals are called sperm, which are motile for fertilization, while the female gamete is called ovum, which is produced in the ovary of female animal, the eggs are not motile.
In plants, the male gamete is called the pollen grain while the female gamete is called the ovule, both gametes are haploid. Three types of gametes are formed in algae –
2. निषेचन (Fertilization) :-
लैंगिक जनन की वह प्रक्रिया , जिसमें नर तथा मादा युग्मकों का युग्मन (fusion) होता है, निषेचन कहलाता है। इस प्रक्रिया को युग्मक – संलयन (syngamy) कहा जाता है। (अर्थात नर युग्मक और मादा युग्मक के मिलने को निषेचन कहा जाता है, निषेचन के बाद द्विगुणित युग्मनज (zygote) का निर्माण होता है)
युग्मक – संलयन में दो युग्मको के केंद्रक आपस में युग्मन करते हैं, युग्मकों के युग्मन के पश्चात द्विगुणित युग्मनज (zygote) बनता है।
Fertilization is the process by which male and female gametes are fused together. In this process, both egg and sperm are fused together to form a diploid zygote. this process is also called syngamy.
figure 2........
जीवों में निषेचन की क्रिया दो प्रकार के होते हैं –
बाह्य निषेचन (External fertilization) :-
आंतरिक निषेचन (Internal fertilization) :-
।. बाह्य निषेचन (External fertilization) :-
निषेचन की क्रिया जब शरीर के बाहर होती है तब उसे बाह्य निषेचन कहते हैं। जैसे – शैवाल, मछली, मेढक, स्टार फिश, जेलीफिश, सीप आदि जलीय जीवों में बाह्य निषेचन होता है।
बाह्य निषेचन में नर तथा मादा अपने युग्मक के लिए आमतौर पर पानी या नम जगह चुनते हैं, जहां नर तथा मादा युग्मक बहुत बड़ी संख्या में छोड़े जाते हैं।
When fertilization takes place outside the body, it is called external fertilization. For example, external fertilization occurs in aquatic organisms like algae, fish, frog, star fish, jellyfish, oyster etc.
In external fertilization, the male and female select their gametes, usually in water or moist places, where large numbers of male and female gametes are released.
।।. आंतरिक निषेचन (Internal fertilization) :-
जब निषेचन की क्रिया जीव के शरीर के अंदर होता है तब इस प्रकार के निषेचन को आंतरिक निषेचन कहते हैं। जैसे उच्च श्रेणी के प्राणी – सरीसृप, पक्षी, स्तनधारी तथा उच्च श्रेणी के स्थलीय पौधों में आंतरिक निषेचन होता है। कवक के लैंगिक जनन में भी आंतरिक निषेचन होता है।
आंतरिक निषेचन करने वाले सभी जीवों में अंडे मादा के शरीर के अंदर बनते हैं, इनके नर युग्मक चलनशील ( motile) होते हैं। नर युग्मकों को अंडे तक पहुंचने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता पड़ती है। जैसे – ब्रायोफाइट्स तथा टेरिडोफाइट्स श्रेणी के पौधों में नर युग्मकों के स्थानांतरण के लिए जल माध्यम की आवश्यकता पड़ती है।
आंतरिक निषेचन करने वाले जीवों में मादा युग्मक की संख्या कम होती है, परंतु शुक्राणु / परागकण की संख्या अधिक होती है। मादा युग्मक अचलनशील होती है।
3. निषेचन – पश्च अवस्थाएं ( Post – fertilization Stages) :-
निषेचन के पश्चात होने वाले परिवर्तनों को निषेचन पश्च अवस्थाएं कहते हैं। निषेचन के पश्चात युग्मनज (zygote) बनता है, यह युग्मनज विकसित होकर embryo बनाता है। भ्रूण निर्माण प्रक्रिया को embryogenesis कहते हैं। इस प्रक्रिया में कोशिकाओं का विभेदन तथा रूपांतरण होता है।
युग्मनज का विकास जीव तथा उसके जीवन चक्र पर निर्भर करता है। उच्च वर्गीय पादप तथा जंतु में जायगोट बनने के बाद या तो तुरंत विभाजित होना शुरू हो जाता है या कुछ समय बाद उनमें विभाजन शुरू हो जाता है।
पुष्पी पादपों में जायगोट अंडाशय के अंदर बनता है। निषेचन के पश्चात पुष्प के बाह्यदल तथा पंखुड़ियां मुरझाकर गिर जाते हैं। अंडाशय विकसित होकर फल बनाता है, अंडाशय आगे चलकर फलभिति का निर्माण करता है। भ्रूण बीज के अंदर होता है।
प्राणियों में भ्रूणउद्भव बाहरी होता है या आंतरिक इस आधार पर उन्हें दो वर्गों में विभाजित किया गया है –
(a) अंडप्रजक (Oviparous) :-
इस प्रकार के जीवों द्वारा निषेचित अंडे किसी सुरक्षित स्थान पर दिए जाते हैं। मगरमच्छ, सांप आदि अपने अंडे सुरक्षित स्थान पर देते हैं। इन अंडो के चारों ओर कठोर कैल्शियम युक्त कवच होता है जो उन्हें सुरक्षित बनाए रखने में मदद करता है। एक निश्चित निषेचन अवधि के पश्चात स्फुटक (hatching) द्वारा नए शिशुओं को जन्म देते हैं।
(b) सजीवप्रजक (Viviparous) :-
इस प्रकार के जीवों में मादा के शरीर के अंदर जायगोट विकसित होकर भ्रूण का विकास करता है। इस प्रकार का भ्रूण उद्भव बीजी पौधों तथा स्तनधारी जीवो में होता है। भ्रूण मादा के शरीर में एक निश्चित अवधि तक रहने के पश्चात प्रसव द्वारा पैदा किए जाते हैं।
अंडप्रजक तथा सजीवप्रजक प्राणियों में उत्तरजीविता (survival) की दृष्टि से सजीवप्रजक जीवों में उत्तरजीविता की संभावना अधिक होती है।
अनिषेक जनन (Parthenogenesis) :-
कुछ प्राणियों में बिना निषेचन की क्रिया के संपन्न हुए ही नए जीव का निर्माण हो जाता है, इस प्रकार की घटना को अनिषेक जनन कहा जाता है। जैसे – मधुमक्खी, रोटीफर्स, कुछ पक्षी (टर्की) तथा कुछ छिपकलियाँ। इन जीवों में बिना निषेचन अर्थात नर युग्मक के युग्मन के बिना ही मादा युग्मक नए जीव के निर्माण के लिए विकसित होने लगता है।
कुछ पौधे जैसे – अल्पाइन, गुलाब, संतरा में अनिषेचित अंड विकसित होकर भ्रूण बनाता है।
Sexual reproduction in Plants (पौधों में लैंगिक जनन)
पौधो में नर युग्मक परागकण तथा मादा युग्मक अंडाणु कहलाते हैं।
In plants, male gametes are called pollen grains and female gametes are called eggs.
1) male gametes (pollen grain) नर युग्मक - परागकण
2) female gametes (egg/ ova /ovum ) मादा युग्मक - अंडाणु
The angiosperms have both the male and female reproductive organs. The pollen grains produce male gametes which fuse with the egg cell of the female. The formation of gametes is known as gametogenesis. The pollen grains are transferred from the anther to the stigma of the flower.
After the pollen lands on a suitable stigma, it has to reach the female germ-cells (egg) which are in the ovary. For this, a tube grows out of the pollen grain and travels through the style to reach the ovary.
After fertilisation, the zygote divides several times to form an embryo within the ovule. The ovule develops a tough coat and is gradually converted into a seed. The ovary grows rapidly and ripens to form a fruit. Meanwhile, the petals, sepals, stamens, style and stigma may shrivel and fall off.
In flowering plants, the zygote is formed inside the ovary. After fertilization, the sepals and petals of the flower wither and fall off. The ovary develops to form the fruit, the ovary later forms the fruit wall. The embryo is inside the seed.
एंजियोस्पर्म में नर और मादा दोनों प्रजनन अंग होते हैं। परागकण नर युग्मक उत्पन्न करते हैं जो मादा के अंडाणु के साथ विलीन हो जाते हैं। युग्मकों के निर्माण को युग्मकजनन के रूप में जाना जाता है। परागकण परागकोश से पुष्प के वर्तिकाग्र में स्थानांतरित हो जाते हैं।
पराग के उपयुक्त वर्तिकाग्र पर आने के बाद, उसे अंडाशय में स्थित मादा जनन-कोशिकाओं (अंडा) तक पहुंचना होता है। इसके लिए परागकणों से एक ट्यूब निकलती है और अंडाशय तक पहुंचने के लिए शैली के माध्यम से यात्रा करती है।
निषेचन के बाद, युग्मनज बीजांड के भीतर एक भ्रूण बनाने के लिए कई बार विभाजित होता है। बीजांड एक सख्त परत विकसित करता है और धीरे-धीरे एक बीज में परिवर्तित हो जाता है। अंडाशय तेजी से बढ़ता है और फल के रूप में पकता है। इस बीच, पंखुड़ियां, बाह्यदल, पुंकेसर, शैली और वर्तिकाग्र सिकुड़ कर गिर सकते हैं।
फूल वाले पौधों में अंडाशय के अंदर युग्मनज बनता है। निषेचन के बाद, फूल के बाह्यदल और पंखुड़ियाँ मुरझाकर गिर जाते हैं। अंडाशय फल बनाने के लिए विकसित होता है, अंडाशय बाद में फल की दीवार बनाता है। भ्रूण बीज के अंदर होता है।
figure 2........
germination - In simple words, germination can be defined as the growth of a seed into a young plant.
अंकुरण को एक बीज के एक युवा पौधे में वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
Questions and answers :- Page no. 128 NCERT Hindi medium page 142
1. What is the importance of DNA copying in reproduction?
Solution: DNA is the genetic material that is present in the cells of all organisms. DNA carries genetic information from one generation to the other and this helps in producing organisms of its own types. DNA copying is a must for inheriting the traits from parents. Any variations in DNA copying will give rise to origin of new species.
1. प्रजनन में डीएनए की प्रतिकृति (नकल) का क्या महत्व है?
उत्तर: डीएनए वह आनुवंशिक पदार्थ है जो सभी जीवों की कोशिकाओं में मौजूद होता है। डीएनए आनुवंशिक जानकारी को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता है और यह अपने प्रकार के जीवों के उत्पादन में मदद करता है। माता-पिता से गुण प्राप्त करने के लिए डीएनए की नकल जरूरी है। डीएनए की नकल में कोई भी बदलाव नई प्रजातियों की उत्पत्ति को जन्म देगा।
2. Why is variation beneficial to species but no necessarily for the individual?
Solution: Variation is beneficial to the species because it increases the chances of survival of the species. If the environmental conditions change so drastically that survival becomes difficult and if there is no variation then the entire species would be destroyed. If variation is present then some individual organisms can survive and the entire species would not be destroyed.
variation is not necessarily beneficial for the individual because,
-- all variations are not useful.
-- during the life time of an individual organisms the environmental conditions may not change.
2. विविधता स्पीसीज (प्रजातियों) के लिए फायदेमंद क्यों है लेकिन व्यष्टि (व्यक्ति) के लिए जरूरी नहीं है?
उत्तर: विविधता प्रजातियों के लिए फायदेमंद है क्योंकि इससे प्रजातियों के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है। यदि पर्यावरण की स्थिति इतनी तेजी से बदलती है कि जीवित रहना मुश्किल हो जाता है और यदि कोई भिन्नता नहीं है तो पूरी प्रजाति नष्ट हो जाएगी। यदि भिन्नता मौजूद है तो कुछ व्यक्तिगत जीव जीवित रह सकते हैं और पूरी प्रजाति नष्ट नहीं होगी।
भिन्नता व्यक्ति के लिए आवश्यक रूप से लाभकारी नहीं है क्योंकि,
- सभी विविधताएं उपयोगी नहीं हैं।
- एक जीव के जीवन काल के दौरान पर्यावरण की स्थिति नहीं बदल सकती है।
Questions and answers :- Page no. 133 NCERT Hindi medium page 146
1. How does binary fission differ from multiple fission?
Solution: When a single cell divides into two daughter cell, it is known as binary fission. Bacteria and amoeba are the examples of binary fission.
When a single cell divides into multiple daughter cells at the same time, it is known as multiple fission. Algae and parasitics are the examples of multiple fission.
1. द्वि-विखंडन बहु-विखंडन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर: जब कोई एकल कोशिका दो संतति कोशिका में विभाजित होती है, तो इसे द्विविखंडन कहते हैं। बैक्टीरिया और अमीबा बाइनरी विखंडन के उदाहरण हैं।
जब एक एकल कोशिका एक ही समय में कई संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है, तो इसे बहु-विखंडन के रूप में जाना जाता है। शैवाल और परजीवी बहु-विखंडन के उदाहरण हैं।
2. How will an organism be benefitted if it reproduces through spores?
Solution: An organism will be benefitted if it reproduces through spores because:
It is a simpler and faster mode of reproduction.
Spores being small and light get easily dispersed through wind water and animals. Thus its dispersal becomes easier.
Spores bear thick resistant covering to enable them to survive even in unfavourable conditions.
2. यदि कोई जीव बीजाणुओं द्वारा जनन करता है तो उसे क्या लाभ होगा?
उत्तर: एक जीव को लाभ होगा यदि वह बीजाणुओं के माध्यम से प्रजनन करता है क्योंकि:
यह प्रजनन का एक सरल और तेज़ तरीका है।
बीजाणु छोटे और हल्के होने के कारण हवा के पानी और जानवरों के माध्यम से आसानी से फैल जाते हैं। इस प्रकार इसका फैलाव आसान हो जाता है।
बीजाणुओं में मोटा प्रतिरोधी आवरण होता है जो उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सक्षम बनाता है।
3. Can you think of reasons why more complex organisms cannot give rise to new individuals through regeneration?
Solution: Highly complex organisms cannot give rise to new individuals through regeneration because organisms with complex structures have different tissues, organs or organ systems for different activities. All the organ systems of their body work together as an interconnected unit. They can regenerate their lost body parts like skin, muscles, blood etc., but cannot give birth to new individuals.
3. क्या आप उन कारणों के बारे में सोच सकते हैं कि क्यों अधिक जटिल जीव पुनर्जनन के माध्यम से नए व्यक्तियों को जन्म नहीं दे सकते हैं?
उत्तर: उच्च जटिल जीव पुनर्जनन के माध्यम से नए व्यक्तियों को जन्म नहीं दे सकते क्योंकि जटिल संरचना वाले जीवों में विभिन्न क्रियाकलापों के लिए विभिन्न ऊतक, अंग या अंगतन्त्र होते हैं। उनके शरीर की सभी अंग प्रणालियां आपस में जुड़ी हुई इकाई के रूप में एक साथ काम करती हैं। वे अपने खोए हुए शरीर के अंगों जैसे त्वचा, मांसपेशियों, रक्त आदि को पुन: उत्पन्न कर सकते हैं, लेकिन नए व्यक्तियों को जन्म नहीं दे सकते।
4. Why is vegetative propagation practised for growing some types of plants?
Solution: Some plants have the ability that some parts of them; For example, roots, stems and leaves develop under suitable conditions to form a new plant. In this process new plants are produced quickly and easily and such plants can also be grown by this method which have lost the ability to produce seeds. In addition, the plants thus produced are genetically identical to the parent plant. Hence vegetative propagation is used to grow some plants.
4. कुछ प्रकार के पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर: कुछ पौधों में ऐसी क्षमता होती है कि उनके कुछ भाग; जैसे-जड़, तना तथा पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित होकर नया पौधा बना लेती हैं। इस प्रक्रिया में नये पौधे शीघ्र तथा आसानी से उत्पन्न हो जाते हैं तथा ऐसे पौधे भी इस विधि से उगाये जा सकते हैं जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके होते हैं। इसके अतिरिक्त इस प्रकार से उत्पन्न पौधे आनुवांशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं। इसलिए कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग किया जाता है।
5. Why is DNA copying an essential part of the process of reproduction?
Solution: DNA copying is an essential part of the process of reproduction because it carries the genetic information from the parents to offspring. A copy of DNA is produced through some chemical reactions resulting in two copies of DNA. Along with the additional cellular structure, DNA copying also takes place which is then followed by cell division into two cells.
5. डीएनए की प्रतिकृति बनाना प्रजनन की प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा क्यों है?
उत्तर: डीएनए की नकल प्रजनन की प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है क्योंकि यह माता-पिता से संतानों तक आनुवंशिक जानकारी ले जाती है। कुछ रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से डीएनए की एक प्रति तैयार की जाती है जिसके परिणामस्वरूप डीएनए की दो प्रतियां होती हैं। अतिरिक्त सेलुलर संरचना के साथ, डीएनए की नकल भी होती है जिसके बाद कोशिका विभाजन दो कोशिकाओं में होता है।
Questions and answers :- Page no. 140 NCERT Hindi medium page 154
1. How is the process of pollination different from fertilization?
Solution: Pollination is defined as the process of transfer of pollens from anther to stigma. The process takes place with the help of pollinators like air, water and some insects.
Fertilization is defined as the fusion of male and female gametes. It takes place in the ovule and leads to the formation of zygote.
1. परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर: परागण, परागकणों का पुंकेसर के परागकोश से किसी भी विधि द्वारा स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया है। जबकि निषेचन परागकणों में उपस्थित नर युग्मक का अण्डाशय में स्थित मादा युग्मक से मिलना है।
2. What is the role of the seminal vesicles and the prostate gland?
Solution: Sperm and prostate gland put their secretion into the spermatic duct, due to which the sperm comes in a liquid medium.Due to this they are easily transferred. In addition, this secretion also provides nutrition to them.
2. शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?
उत्तर: शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि अपना स्राव शुक्र वाहिका में डालते हैं जिससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं। इसके कारण इनका स्थानांतरण सरलता से होता है। साथ ही यह स्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है।
3. What are the changes seen in girls at the time of puberty?
Solution: (i) In some parts of the body such as armpits and in the genital area between the thighs, hair growth appears..
(ii) Thinner hair come on the arms and legs.
(iii) The skin frequently becomes oily. Sometimes pimples come out.
(iv) Breast size begins to increase.
(v) The color of the nipples of the breast becomes dark brown.
(vi) Menstruation begins.
(vii) Eggs begin to mature in the ovary.
(viii) The sound becomes melodious.
(ix) There is an attraction towards the opposite sex.
3. यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन सा परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर: (i) शरीर के कुछ भागों जैसे काँख और जाँघों के मध्य जननांगी क्षेत्र में बाल के गुच्छे निकल आते हैं।
(ii) हाथ, पैर पर महीन रोम आ जाते हैं।
(iii) त्वचा तैलीय हो जाती है। कभी-कभी मुहाँसे निकल आते हैं।
(iv) स्तन के आकार में वृद्धि होने लगती है।
(v) स्तनाग्र की त्वचा का रंग गहरा भूरा होने लगता है।
(vi) रजोधर्म होने लगता है।
(vii) अंडाशय में अंड परिपक्व होने लगते हैं।
(viii) ध्वनि सुरीली हो जाती है।
(ix) विपरीत लिंग की ओर आकर्षण होने लगता है।
4. How does the embryo get nourishment inside the mother’s body?
ans: The embryo gets nutrition from the mother's blood with the help of a special tissue called placenta. The placenta provides oxygen and nutrients to the baby and removes carbon dioxide and other waste substance. The placenta connects the umbilical cord of the growing baby to the inner wall of the mother's womb.
4. माँ के शरीर में गर्भस्थ भ्रूण का पोषण किस प्रकार प्राप्त होता है?
उत्तर: प्लेसेंटा (नाल) के माध्यम से, भ्रूण को मां के रक्त से गर्भाशय में पोषण मिलता है। नाल बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करता है और कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट उत्पादों को निकालता है। नाल गर्भ में पल रहे बच्चे की गर्भनाल को मां के गर्भ की आंतरिक दीवार से जोड़कर जोड़ती है।
5. If a woman is using a Copper-T, will it help in protecting her from sexually transmitted diseases?
ans: No, because usage of copper-T cannot stop the contact of body fluids. Hence, it cannot protect her from getting sexually transmitted diseases.
5. यदि कोई महिला कॉपर-टी का उपयोग कर रही है, तो क्या यह उसे यौन संचरित रोगों से बचाने में मदद करेगी?
उत्तर: नहीं , कॉपर-T किसी भी अवस्था में महिला की यौन-संक्रमित रोगों से रक्षा नहीं करेगी , क्योकि यह केवल एक गर्भनिरोधक युक्ति है
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