Basic Accounting Terms संपत्तियां दायित्व पूंजी देनदार लेनदार माल स्टॉक लाभ हानि क्रय विक्रय आय व्यय इत्यादि
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Basic Accounting Terms
संपत्तियां (Assets)
व्यापार के वे आर्थिक स्रोत, जिसे मुद्रा में व्यक्त किया जा सकता है, तथा जिनका कोई मूल्य होता है, तथा जिनका उपयोग व्यापार के संचालन व आय अर्जन के लिए किया जाता है, उसे संपत्ति कहते हैं । दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि " संपत्तियां वे स्रोत होते हैं, जो भविष्य में लाभ पहुंचाते हैं ।जैसे:-मशीन, भूमि, भवन, ट्रक, रोकड़ा इत्यादि। ( संपत्तियों के प्रकार के लिए यहां क्लिक करें 👉 📝📗📒 )
दायित्व (Liabilities)
दायित्व ऋण या देयताएं होती है, जो व्यवसायिक संस्थान द्वारा बाहरी पक्षों को चुकाया जाता है। या भविष्य में किसी को देना होता है, दायित्व (Liabilities) कहलाता है। जैसे- ऋण, लेनदार, देय बिल, और अन्य देयताएं। Loan, Creditors, Bill payable, and other Payables. ( दायित्व (Liabilities) के प्रकार के लिए यहां क्लिक करें 👉 📝📗📒 )
पूंजी (Capital)
व्यवसाय शुरू करने के लिए, प्रारंभ में जो भी धनराशि या संपत्ति लगाया जाता है, उसे पूंजी कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि- " जिस पैसे से या संपत्ति से कोई भी व्यक्ति अपना व्यवसाय प्रारंभ करता है, उसे पूंजी (capital) कहते हैं। संपत्ति में से दायित्व को घटा देने से हमें पूंजी का पता चलता है। जैसे:- (सम्पत्ति-दायित्व = पूंजी) ( पूंजी Capital वर्गीकरण प्रकार देखने के लिए यहां क्लिक करें 👉 📝📗📒 )
आहरण (Drawing)
व्यापार का स्वामी अपने निजी प्रयोग के लिए, जो माल या रोकड़(पैसा) व्यापार से निकालता है, उसे आहरण कहते हैं।
देनदार (Debtor)
वे व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी देनदार (debtor) कहलाते हैं, जिनसे धन वसूलना होता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि- "जिन व्यक्तियों से धन या पैसा लेना है उसे देनदार (debtor) कहते हैं।
लेनदार (Creditors)
लेनदार वे व्यक्ति, संस्था ,कंपनी या फार्म कहलाते हैं , जिनको हम उधार के बदले भविष्य में उन्हें पैसे देते हैं। जैसे- जब हम किसी व्यक्ति या दुकान से कुछ सामान उधार खरीद कर लाते हैं, तब वह व्यक्ति या दुकानदार हमारे लिए लेनदार (creditor) कहलाता है।
माल (Goods)
जिन वस्तुओं का कोई व्यापारी व्यापार करता है , वह उसका माल कहलाता है। जैसे:- गेहूं के व्यापारी के लिए उसका माल गेहूं है। कपड़े के व्यापारी के लिए उसका माल कपड़ा होता है।
क्रय (purchase)
क्रय (purchase) मतलब खरीदना होता है।
क्रय वापसी / बाह्य वापसी (purchase return/Return outward (R/O))
विक्रय (Sale)
विक्रय मतलब बेचना होता है।
विक्रय वापसी/आंतरिक वापसी ( Sales Return/Return Inward (R/I))
लाभ (profit)
हानि (Loss)
आगम से लागत की अधिकता को हानि कहते हैं। जैसे यदि साबुन बनाने में ₹4 लगता है , और उसे हम ₹3 में बेचते हैं तब हमें ₹1 का हानि होगा। जैसे- (4-3=1)
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